प्राकृतिक आपदा : कारण और निवारण


प्राकृतिक आपदा के प्रकार - प्राकृतिक आपदा का अर्थ है - प्रकृति की ओर से आए संकट । यह धरती , जिसे मनुष्य अपनी भाषा में आपदा या संकट कहता है , वास्तव में धरती की व्यवस्था है । पहाड़ों का टूटना , समुद्र का अनियंत्रित होना , तूफान आना , बाढ़ आना , भूकंप आना - ये प्रकृति की अंगड़ाइयाँ हैं । निरंतर घूमती हुई पृथ्वी जब भी करवट लेती है तो बड़े - बड़े भूकंप आते हैं । और हमारी बनाई हुई हरी - भरी दुनिया को उजाड़ देती है । वास्तव में पृथ्वी पर हुए निर्माण और विनाश उसकी स्वाभाविक लीलाएँ । हैं । हमें उन लीलाओं के समक्ष सिर झुका कर ही चलना चाहिए । ऐसा दिन कभी नहीं आएगा , जब कि मानव सारे प्राकृतिक संकटों । पर काबू पा लेगा ।

natural disaster : reason and conclusion 


 उत्तराखंड का जलप्रलय - कुछ दिनों पहले भारत के उत्तराखंड में जलप्रलय आया । पहाड़ों पर बादल फटे । घनघोर बारिश हुई । 16 जून रात सवा आठ बजे और 17 जून सुबह 6 बजे ऐसे दो सैलाब आए कि भारत के करीब एक लाख पर्यटक पहाड़ा में फंस गए । जो जहा था , वहीं जलप्रलय का शिकार हो गया । किसी की कार - बस में कीचड़ घुस आया , किसी का वाहन जल के वेग में बह गया । कोई होटल या धर्मशाला में बैठे - बैठे उस सैलाब में बह गया । उस होटल में ही उसकी जल - समाधि हो गई । आज तक पता नहीं चला कि वे नदी में बहते हुए मकान से बाहर भी निकल सके या मकान समेत बाढ़ में बह गए । किसी के ऊपर चट्टान । आ गिरी तो किसी के पाँव के नीचे से धरती खिसक गई । हजारों यात्री तत्काल काल की भेंट चढ़ गए ।


 कारण - इस भयंकर जल - सैलाब को लेकर देश - भर में चर्चा शुरू हो गई कि इस प्राकृतिक आपदा का मूल कारण क्या है । पर्यावरण के जानकार कहते हैं कि हमने अपनी अंधाधुंध प्रगति की चाह में जिस प्रकार पहाड़ों को काटा है , उनकी छाती में सुरंगें । बनाई हैं , बारूद लगाकर विस्फोट किए हैं , उन पर चलने के लिए सड़कें बनाई हैं , उससे पहाड़ों में खलबली मच गई है । भू - स्खलन । आम हो गए हैं । पहाड़ों पर सदियों से जमे हुए पत्थर , पेड़ और मिट्टी अपनी जड़ों से उखड़ गई है । इस कारण कोई भी प्राकृतिक । तुफान आता है तो भयंकर विनाश छा जाता है । यह सब मानव की करतूत है । हम प्रकृति को छेड़ेंगे तो प्रकृति अपने हिसाब से हमसे बदला लेगी । पहाड़ों पर बनाए जाने वाले बाँध तो बहुत बड़ा खतरा हैं ।


प्रश्न यह है कि क्या मनुष्य को इन प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति मिल सकती है । इसका उत्तर है नहीं । वह दिन कभी । नहीं आने वाला जबकि हम सभी प्राकृतिक आपदाओं से मुक्त हो जाएंगे । परंतु हमारी समझ में प्राकृतिक छेड़छाड़ के जो - जो कारण | हमें हानि पहुंचा रहे हैं , हम उन पर नियंत्रण कर सकते हैं । महात्मा गाँधी ने कहा था - यह प्रकृति करोड़ों क्या अरबों - अरबों लोगों | का पालन बड़े आराम से कर सकती है किंतु एक भी इनसान की तृष्णा पूरी नहीं कर सकती । | eण के उपाय - हमें महात्मा गांधी के इस संदेश को जीवन में उतारना होगा । अपनी हवस को परा करने के लिए वक्षों । को काटना पहाड़ों को काटना , शीले बनाना , बाध बनाना बंद करना होगा । शेष सब पशु - पक्षी भी प्राकृतिक प्रगति की चिंता का । हम भी अपनी तृष्णाओं पर नियंत्रण रखें । जिस काम में खतरा महसूस हो , कम - से - कम उससे बचें । फिर बिना जीवन जी रहे हैं । हम भी अपनी तृष्णाओं पर नियंत्रण रखें । जिस काम में मना । भी हमें आवश्यक कार्यवाही करनी पड़े तो पहले सुरक्षा के उपाय अपनाएँ । जीवन के लिए यह भी आवश्यक है कि हम प्राकृतिक आपदा आने पर उससे निबटने के उपाय हमेशा तैयार रखें । । आग लगने पर कुआँ खोदने में कोई समझदारी नहीं है । कभी समय देकर नहीं आतीं । वे बिना बताए कभी भी , कहीं भी आ सकती हैं । इसलिए हमें सब जगह । के उपाय सँवार करके रखने होंगे । तभी हम मौत के किसी भी जलजले से बच सकते हैं ।


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